पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण ने हिमालय पर जाकर भगवान शिव की प्रसन्नता के लिए कठोर तपस्या की। उसने एक-एक करके अपने 9 सिर काटकर शिवलिंग पर अर्पित किए। जब वह अपना अंतिम सिर चढ़ाने वाला था, तभी भगवान शिव प्रसन्न होकर प्रकट हुए और उसे वरदान दिया।
रावण ने वरदान स्वरूप यह माँगा कि शिवलिंग को लंका ले जाकर स्थापित करने की अनुमति दी जाए। शिवजी ने यह शर्त रखी कि लिंग को यदि रास्ते में कहीं भी रख दिया गया, तो वह वहीं स्थापित हो जाएगा।
विष्णु भगवान की लीलादेवता चिंतित थे कि अगर रावण लंका में ज्योतिर्लिंग स्थापित कर लेता, तो उसकी शक्ति अजेय हो जाती। तब भगवान विष्णु ने लीला रची। उन्होंने वरुण देव से कहा कि रावण को रोका जाए।
रावण जब शिवलिंग लेकर लंका जा रहा था, तभी रास्ते में उसे लघुशंका लगी। उसने एक ग्वाले को बुलाकर शिवलिंग थमा दिया। ग्वाले ने शिवलिंग को धरती पर रख दिया और वह वहीं स्थापित हो गया।
रावण ने उसे उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रहा। यहीं वह लिंग वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का नाम “वैद्यनाथ” क्यों पड़ा?कथाओं
में आता है कि
जब रावण ने अपने
सिर काटकर शिवलिंग पर अर्पित किए,
तो भगवान शिव ने उसकी
पीड़ा हर ली और
उसके कटे हुए सिर
पुनः जोड़ दिए।
इस प्रकार भगवान स्वयं वैद्य
(चिकित्सक)
बने और रावण को
रोग-मुक्त किया।
यही कारण है कि यह ज्योतिर्लिंग वैद्यनाथ कहलाया और इसे “कामना लिंग” भी कहा जाता है, क्योंकि यहाँ मनोकामनाएँ पूर्ण होने की मान्यता है।
बच्चों और पुराणों से जुड़ी रोचक कथाओं में पूतना वध और कालिया नाग मर्दन भी बहुत प्रसिद्ध हैं।
वैद्यनाथ धाम के दर्शन और लाभ· यहाँ भगवान शिव की पूजा करने से सभी रोग-दोष मिट जाते हैं।
· भक्त मानते हैं कि यहाँ जलाभिषेक करने से शारीरिक रोग, मानसिक तनाव और आर्थिक बाधाएँ दूर होती हैं।
· सावन के महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है।
· यह ज्योतिर्लिंग भक्तों को संतान सुख, दीर्घायु और मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद देता है।
यात्रा और पहुँच· स्थान: देवघर, झारखंड
· निकटतम रेलवे स्टेशन: जसीडीह जंक्शन (Deoghar से 7 किमी)
· निकटतम हवाई अड्डा: देवघर एयरपोर्ट
· आसपास के आकर्षण: नंदन पहाड़, त्रिकूट पर्वत, तपोवन
धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी गहराई जानने के लिए आप कलश स्थापना विधि की सही प्रक्रिया भी देख सकते हैं।
निष्कर्षवैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, जिसे बाबा बैद्यनाथ धाम कहा जाता है, न केवल पौराणिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आस्था और स्वास्थ्य का भी प्रतीक है। यहाँ भगवान शिव को वैद्य स्वरूप में पूजा जाता है और भक्तों को विश्वास है कि उनकी सभी बीमारियाँ और कष्ट दूर होते हैं।
श्रावण मेला, कांवड़ यात्रा और यहाँ की आध्यात्मिक आभा हर भक्त को अद्भुत शांति का अनुभव कराती है। यदि आप कभी झारखंड की यात्रा करें, तो बाबा वैद्यनाथ धाम के दर्शन अवश्य करें।

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